परिचय भारत में मानसून के दौरान बाढ़ एक सामान्य और गंभीर समस्या है। बाढ़ न केवल जनजीवन को प्रभावित करती है, बल्कि इसके साथ ही कई स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है, लेकिन सही उपायों और तैयारी से इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। इस लेख में हम बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे। बाढ़ के दौरान स्वास्थ्य समस्याएं पानी से फैलने वाले रोग : डायरिया : दूषित पानी से पीने या खाने से डायरिया और पेट के अन्य संक्रमण हो सकते हैं। हैजा : हैजा का संक्रमण भी दूषित पानी के कारण होता है और यह तेजी से फैल सकता है। मच्छरों से फैलने वाले रोग : मलेरिया : बाढ़ के बाद पानी जमा होने से मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है, जिससे मलेरिया फैल सकता है। डेंगू और चिकनगुनिया : ये रोग भी मच्छरों के कारण होते हैं और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से फैल सकते हैं। त्वचा और श्वसन संबंधी समस्याएं : त्वचा संक्रमण : बाढ़ के गंदे पानी के संपर्क में आने से त्वचा संक्रमण हो सकते हैं। श्वसन संक्र...
परिचय बायोमेडिकल इंजीनियरिंग एक तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है जो चिकित्सा और इंजीनियरिंग के बीच की खाई को पाटता है। इस क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान के माध्यम से जीवन को बेहतर बनाने की क्षमता है। अगर आप विज्ञान और प्रौद्योगिकी में रुचि रखते हैं और चिकित्सा क्षेत्र में योगदान देना चाहते हैं, तो बायोमेडिकल कोर्स और इसमें करियर के अवसर आपके लिए एक उत्तम विकल्प हो सकते हैं। इस लेख में, हम बायोमेडिकल कोर्स के विभिन्न पहलुओं और इसके करियर के अवसरों पर विस्तृत चर्चा करेंगे। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग क्या है? बायोमेडिकल इंजीनियरिंग एक बहुआयामी क्षेत्र है जो जीव विज्ञान, चिकित्सा, और इंजीनियरिंग के सिद्धांतों को एकीकृत करता है। इसका उद्देश्य चिकित्सा उपकरण, इमेजिंग सिस्टम, और बायोमेडिकल रिसर्च के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना है। बायोमेडिकल कोर्स के प्रकार बैचलर डिग्री (बी.टेक/बी.ई. इन बायोमेडिकल इंजीनियरिंग) : यह कोर्स 4 साल का होता है और इसमें बायोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री, और इंजीनियरिंग के सिद्धांतों का अध्ययन शामिल होता है। इसमें बायोमैकेनिक्स, बायोमैटेरियल्स, मेडिकल इमेजिंग, और ब...